नई दिल्ली
भारत का सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) स्कोर 2023-24 में बढ़कर 71 हो गया है, जो कि 2020-21 में 66 था। एसडीजी स्कोर बढ़ने की वजह गरीबी में कमी आना, पर्याप्त काम उपलब्ध होना, पर्यावरण के लिए एक्शन और अन्य कारणों में सुधार होना है। नीति आयोग की एसडीजी इंडिया इंडेक्स में यह जानकारी दी गई है।
नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार की ओर से प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला, स्वच्छ भारत, जन धन, आयुष्मान भारत – पीएमजेएवाई, आयुष्मान आरोग्य मंदिर, पीएम-मुद्रा योजना, सौभाग्य और स्टार्ट-अप इंडिया जैसी योजनाओं से तेज विकास देखने को मिला है।
नीति आयोग इंडेक्स में सभी राज्यों के स्कोर में सुधार देखने को मिला है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से लेकर 2023-24 में सबसे ज्यादा सुधार उत्तर प्रदेश में हुआ है। देश के सबसे बड़े जनसंख्या वाले राज्य के एसडीजी स्कोर में 25 अंक का इजाफा हुआ है। जम्मू और कश्मीर का स्कोर 21 अंक, उत्तराखंड का स्कोर 19 अंक, सिक्किम का स्कोर 18 अंक, हरियाणा का स्कोर 17 अंक, असम, त्रिपुरा और पंजाब में प्रत्येक का स्कोर 16 अंक, मध्य प्रदेश और ओडिशा में प्रत्येक का स्कोर 15 अंक बढ़ा है।
देश के 32 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश फ्रंट-रनर कैटेगरी में थे। इसमें 10 नए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हुए हैं, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मणिपुर, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दादरा और नागर हवेली, दमन और दीव हैं।
2023-24 में राज्यों का स्कोर 57 से 79 के बीच रहा है। 2018 में यह 42 से 69 के बीच था।
नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा है कि सरकार की ओर से लक्ष्य निर्धारित कर कार्य करने के कारण एसडीजी में तय किए गए 16 गोल में सुधार देखने को मिला है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत केवल सही ट्रैक पर ही नहीं है, बल्कि एसडीजी में तय किए गए अपने लक्ष्य से आगे चल रहा है। सरकार को उम्मीद है कि 2030 से पहले हम लक्ष्य की प्राप्ति कर लेंगे।
निजी उपभोग व्यय में हो रहा सुधार
अरविंद विरमानी ने कहा कि ‘भारतीय अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत 0.5 प्रतिशत कम या ज्यादा की दर से बढ़ेगी… मुझे उम्मीद है कि हम आने वाले कई वर्षों तक 7 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की राह पर हैं।’ पिछले महीने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2025 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। विरमानी ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में निजी उपभोग व्यय में गिरावट आने के बाद अब इसमें सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘महामारी का असर बचत में कमी के रूप में सामने आया और यह पिछले वित्तीय झटकों से बहुत अलग है। यह दोहरे सूखे की स्थिति जैसा है।’
एफडीआई में गिरावट पर क्या बोले विरमानी
विरमानी ने कहा, ‘पिछले साल भी अल नीनो आया था, लेकिन महामारी ने जो किया, उसके परिणामस्वरूप लोगों को अपनी बचत कम करनी पड़ी इसलिए बचत को फिर से बनाना है, जिससे वर्तमान खपत कम होती है।’ भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में गिरावट को लेकर विरमानी ने कहा कि ‘उभरते हुए बाजारों की तुलना में अमेरिका और अन्य विकसित देशों में निवेश का जोखिम रहित रिटर्न बहुत ज्यादा है। जैसे ही अमेरिका में ब्याज दर कम होने लगेगी तो उम्मीद है कि भारत सहित उभरते बाजारों में एफडीआई बढ़ेगा।’
उल्लेखनीय है कि बीते महीने संयुक्त राष्ट्र ने भी विकास दर के पूर्वानुमान में बताया था कि भारत की अर्थव्यवस्था साल 2024 में करीब 7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि भारत में उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति में कमी आई है और 2023 में जहां ये 5.6 प्रतिशत थी, वो 2024 में घटकर 4.5 प्रतिशत हो गई है।
बेहतरीन प्रदर्शन वाले राज्यों में उत्तराखंड और केरल का स्कोर 79 रहा। दोनों ही राज्य शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य बनकर उभरे हैं। वहीं दूसरे स्थान पर 78 स्कोर के साथ तमिलनाडु और 77 स्कोर के साथ गोवा तीसरे स्थान पर रहा। वहीं इसके विपरीत बिहार का स्कोर 57, झारखंड का स्कोर 62 और नागालैंड का स्कोर 63 रहा। ये तीनों राज्य इस वर्ष के सूचकांक में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य थे। वहीं केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और दिल्ली शीर्ष पांच प्रदर्शन करने वाले राज्य थे।
नीति आयोग के सीईओ ने कहा, “भारत न केवल एसडीजी के तहत अधिकांश लक्ष्यों को प्राप्त करने में ट्रैक पर है और दूसरों से आगे है,” उन्होंने कहा कि सरकार को इनमें से कुछ लक्ष्यों को 2030 से पहले हासिल करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सूचकांक से पता चलता है कि 16 लक्ष्यों में से, भारत का समग्र स्कोर केवल ‘लक्ष्य 5’ (लैंगिक समानता) पर 50 से नीचे है।