कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद आईसीएआर ने जो अनुसंधान किया है, उसका उद्योग को उपयोग करना चाहिए ।
तोमर ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) व इसके तहत आने वाले संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों और उद्योगों के सम्मेलन में यह बात कही । सम्मेलन में कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी भी शामिल हुए।
उन्होंने कहा , “ कृषि और उद्योग एक-दूसरे के पूरक होकर इसे कैसे आगे बढ़ाएं, जमीनी स्तर पर काम करने वाली इंडस्ट्रीज क्या चाहती है, फीडबैक मिलेगा तो काम और बेहतर किया जा सकता है। हमारे कृषि उत्पादों की अहमियत दुनिया में बढ़ी है। हमारे उत्पादों की गुणवत्ता अच्छी रहे, यह जिम्मेदारी सबकी है।”उन्होंने कहा कि सम्मेलन के माध्यम से आईसीएआर का उद्देश्य उद्योग, अनुसंधान एवं शिक्षा जगत के उन संगठनों के साथ काम करना है, जिनकी आईसीएआर की तकनीकों में रूचि है, ताकि पारस्परिक लाभ प्राप्त करते हुए इसका दीर्घकाल में व्यापकता के साथ कृषि क्षेत्र सहित देश को फायदा मिल सकें। आईसीएआर से सम्बद्ध 100 से ज्यादा संस्थानों के साथ ही कृषि वि.वि. भी हैं, जिनके पास सुसज्जित अनुसंधान/विकास सुविधाएं, प्रयोगशालाएं/बुनियादी ढांचा सहित विभिन्न कृषि सुविधाएं उपलब्ध है, जिनका परस्पर उपयोग सार्वजनिक भलाई के लिए किया जा सकता है।
तोमर ने कहा कि हमारे उत्पादों की गुणवत्ता अच्छी रहे, यह जिम्मेदारी सबकी है। इस क्षेत्र में जो कमियां या गैप्स है, उन्हें भरने की आवश्यकता है, साथ ही विद्यमान अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों का सामना करते हुए भारत कृषि क्षेत्र में श्रेष्ठता कैसे हासिल कर सकता है, उस दिशा में किसान से लेकर इंडस्ट्रीज, सभी को मिलकर काम करना चाहिए। अमृत काल में ऐसे विमर्श की महत्ता और बढ़ जाती है। दुनिया की भारत से अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में हमारी सोच होना चाहिए। दुनिया के राजनीतिक परिदृश्य पर भारत की बढ़ती हुई महत्ता को प्रतिपादित करने व इसे और मजबूत करने के लिए तथा वर्ष 2047 (अमृत काल) तक भारत विकसित देश के रूप में खड़ा हो । वैश्विक परिदृश्य में भारत के बारे में राय तेजी से बदल रही है, जो और तेजी से बदलें व स्थापित हों, इसके लिए हम सब के संयुक्त प्रयास व तीव्र गति से चलने की आवश्यकता है।
तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र में भारत ने काफी प्रगति की है, लेकिन अभी बहुत सारी चुनौतियां कृषि के समक्ष है, जिनकी पहचान करते हुए उनके समाधान की दिशा में काम करना व कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था को और बल देने वाला बनें, इस दिशा में ज्यादा विमर्श होना चाहिए। परंपरागत कृषि से बढ़कर, साथ ही लैब टू लैंड तक तकनीक का पूरा उपयोग करते हुए, योजनाबद्ध ढंग से काम करने की जरूरत है। आईसीएआर से जुड़े वैज्ञानिकों ने काफी उल्लेखनीय अनुसंधान किए हैं, जो आज देश-दुनिया के काम आ रहे हैं। एक समय था जब हम दुनिया से सीखना चाहते थे लेकिन आज कृषि क्षेत्र में दुनिया, भारत से सीखना चाहती है। किसानों को अच्छा आदान व तकनीक का लाभ मिलें, उत्पाद गुणवत्तापूर्ण हो, फसलोपंरात नुकसान कम हो, कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़े, इस दिशा में और तेजी से काम करने की जरूरत है। हम सब जानते हैं कि किसान, उनका उत्पादन, उसके साथ अनुसंधान व तकनीक, साथ में इंडस्ट्रीज, ये सब आपस में जुड़ते हैं तो इससे अर्थव्यवस्था बलवती होती है, किसान को अपने उत्पादन का वाजिब दाम मिल पाएं, यह सुनिश्चित करने की स्थिति आती है, इसलिए इंडस्ट्रीज का महत्वपूर्ण योगदान होता है।